1.नाम
इस संस्था का नाम ‘‘खण्डेलवाल वैश्य महासभा ‘‘ होगा। जिसे संक्षिप्त में आगे चलकर ‘‘ महासभा ‘‘ कहा गया है।
2.कार्य क्षेत्र
महासभा का कार्यक्षेत्र समस्त भारत रहेगा।
3.केन्द्रीय कार्यालय
1.महासभा का केन्द्रीय कार्यालय जयपुर में रहेगा ।
2.केन्द्रीय कार्यालय में एक वैतनिक कार्यालय मंत्री रहेगा । कार्यालय मंत्री कार्यकारिणी और महासमिति की बैठकों मे उपस्थित रहेगा । किन्तु मत देने का अधिकार नहीं रहेगा।
4.उद्देश्य महासभा के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे ।
1.यह संस्था सार्वजनिक परमार्थ संस्था के रुप मे कार्य करेगी ।
2.समस्त भारतीयेां में प्रेम तथा एकता का प्रसार करते हुए एक दूसरे में पारस्परिक सहयोग का भाव पैदा करना । आपस में विवादों का यथा सम्भव प्रयत्न करके समझौते से निबटाना एवं ऐसे कार्य करना जिससे आपस में मेल- जोल बढे व संगठित हो ।
3.जन साधारण में शिक्षा के प्रति रूचि बढाना तथा मानसिक,शारीरिक और आर्थिक उन्नति के साधनों का विस्तार करना।
4.स्त्री एवं प्रौढ शिक्षा की उन्नति करना और उनका जन साधारण में प्रचार करना ।
5.समयानुसार रस्म-रिवाज और व्यवहार में उचित सुधार के लिए प्रयत्न करना तथा ऐसे रीति-रिवाज जिनसे जन साधारण में मानसिक,शारीरिक,आर्थिक और सामाजिक हीनता पैदा होती हो, त्यागना तथा जनसाधारण में उनके त्यागना तथा जनसाधारण में उनके त्याग करने का प्रयत्न करना ।
6.अनाथ,विधवा,असहाय और अपहिज स्त्री पुरुष और बालकों की सहायता करना तथा असमर्थ विद्यार्थियों को मदद पहुँचाना ।
7.शैक्षाणिक,स्वस्थ्य,समाज कल्याण,सहकारिता तथा शोध संस्थाओ का निर्माण करना, चलाना तथा नियंत्रण रखना ।
8.समाज को महासभा के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करना । एवं पालन कराने का प्रयत्न करना।
9.केन्द्रीय व राजकीय योजनाओं से जन साधारण को लाभान्वित कराना ।
10.हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का व्यवहार करना तथा जन साधारण में उनके व्यवहार के लिए प्रयत्न करना ।
11.औद्योगिक,व्यावसायिक एवं सहकारिता क्षेत्र में जन साधारण को प्रोत्साहित कर व्यवस्था में सहयोग करना ।
12.संस्था के हित व उद्देश्यों की पूर्ति के लिए चल व अचल सम्पत्ति खरीदना ,बिक्री करना, दान में अधिग्रहण से प्राप्त करना, निर्माण कराना व मरम्मत कराना ।
13.अशक्त ,अपाहिज ,वृद्वों तथा विधवाओं के लिए आवास केन्द्रों की स्थापना करना व उनको स्थापित कराने में सहयोग करना ।
14.संस्था की उद्देश्यों की पूर्ति के लिए धन संग्रह करना,दान प्राप्त करना, उसे खर्च करना, बैंक में जामा कराना, बैंक से निकालना व उसकी सुरक्षा की व्यवस्था करना ।
15.संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वैतनिक कर्मचारियों की नियुक्ति करना व उनको हटाना। 16.वे समस्त कार्य करना जो उपरोक्त उद्देश्यो की पूर्ति के लिए आवश्यक हों ।
5.सदस्यता
1.महासभा का सदस्य 18 वर्ष से अधिक आयु का स्त्री पुरूष हो सकेगा । सदस्यता श्रेणी निम्न प्रकार होगीः-
(क) आजीवन सदस्यता- महासमिति के आजीवन सदस्य स्वतः ही महासभा के आजीवन सदस्य कहलाएंगे ।
(ख) साधारण सदस्यता - साधारण सदस्यता शुल्क 11रू. प्रति वर्ष होगा । शुल्क तीन वर्ष तक का एक बार मे 33 रू दिया जा सकेगा ।
(ग) विशेष सदस्यता - जो महासभा के उद्देश्यों का प्रचार करें एवं आश्यकतानुसार समय-समय पर महासभा की तन मन से सेवा करें ऐसे व्यक्ति सदस्य कार्यकारिणी की अनुमति से होंगे ।
(घ) विदेशों में रहने वालें भारतीय बन्धुओं को भी सदस्य बनने का अधिकार होगा । उसका आजीवन शुल्क 1100 रू. तथा साधारण सदस्यता शुल्क 101 रूपये वार्षिक होगा ।
2.प्रत्येक प्रकार के सदस्य को अतिरिक्त उनके जो उक्त (ग) में आते है, महासभा का निर्धारित प्रवेश पत्र भरना होगा । जिसका प्रारुप परिशिष्ट (1) में दिया गया है ।
3.साधारण सदस्यता का वर्ष 1 अप्रेल से 31 मार्च होगा । वर्ष के किसी भी मास में बने सदस्यता की सदस्यता 31 मार्च को समाप्त हो जावेगी । तीन वर्ष का एक मुश्त दिया गया सधारण शुल्क एक सत्र (चालू सत्र) का माना जायेगा । चाहे वह सत्र में कभी भी दिया गया हो।
4.महासभा का किसी भी श्रेणी का सदस्य उसी सीन का माना जावेगा जहां उसका स्थायी निवास होगा।
6.संगठन
महासभा के निम्न अंग होंगे ।
(1) अधिवेशन (2) महासमिति (3) कार्यकारिणी समिति (4) सम्बन्धित संस्थाएं ।
7.अधिवेशन
1.महासभा का अधिवेशन तीन वर्ष में एक बार होगा । गत अधिवेशन के 30 माह समाप्त होने की तिथि की समाप्ति के 15 दिन के अन्दर प्रधानमंत्री आगामी अधिवेशन के स्थान के लिए आमंत्रण के 36 माह की समाप्ति के 1 माह में कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाकर अधिवेशन सील का निर्णय लिया जावेगा ओर उस निर्णय के 6 माह के अन्दर अधिवेशन अनिवार्य रूप से करा दिया जावेगा।
2.अधिवेशन में निम्नलिखित कार्य सम्पादन होंगे ।
(क) महासमिति एवं कार्यकारिणी समिति द्वारा स्वीकृत कार्यालय रिपोर्ट की प्रस्तुति ।
(ख) मान्यता प्राप्त लेखा परीक्षक द्वारा अंकेक्षित हिसाब की प्रस्तुति।
(ग) समाज की सर्वागणि उन्नति के लिए सामाजिक संगठनों एवं विशिष्ट व्यक्तियों के विचार जानना।
(घ) विषय निर्वाचनी समिति द्वारा प्रस्तुत व योजनाओं पर विचार कर निर्णय करना ।
(ड) समाज की प्रतिभाओं का उचित सम्मान करना ।
(च) अन्य विषय अध्यक्ष की स्वीकृति से ।
3. महासभा के खुले अधिवेशन में परित सभी प्रस्ताव महासमिति एवं कार्यकारिणी समिति पर अनिवार्य रूप से मान्य होंगे ।
4. अधिवेशन के लिए कार्यकारिणी समिति नियमावली निर्धारित करेगी । उस नियमावली के अनुसार ही आयोजकों द्वारा अधिवेशन सम्पन्न कराया जावेगा ।
8.महासमिति
1.महासमिति का सदस्य होने के लिए महासभा तथा महासभा पत्रिका का सदस्य होना आवश्यक है। किन्तु एक परिवार में एक से अधिक सदस्य होने पर पत्रिका का कम से कम एक सदस्य होना अनिवार्य होगा ।
2.महासमिति का गठन निम्न प्रकार होगाः-
(क) सभी भूतपूर्व अध्यक्ष व प्रधानमंत्री ।
(ख) आजीवन सदस्य- सदस्यता शुल्क 1100 रू. होगा । ये सदस्य स्वतः ही महासभा के आजीवन सदस्य भी हो जायेगा ।
(ग) साधारण सदस्य - 101 रू. एक मुश्त देने वाले महासभा के साधारण सदस्य महासमिति के पूरे एक सत्र के लिए सदस्य होंगे ( अतः महासमिति के साधारण सदस्य का पत्रिका शुल्क के अलावा 101 ओर 33 कुल 134 रू. देने होंगे।)
(घ) संस्था प्रतिनिधि - महासभा की सम्बन्धित संस्थाओं के प्रतिनिधि पूरे सत्र के लिए जो निम्नानुसार होंगे।
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संस्था की सदस्यता संख्या प्रतितिधि शुल्क प्रतिनिधियों की संख्या
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11 से 50 तक 51 रुपये प्रति 1
51 से 100 तक प्रतिनिधि के 2
101 से 150 तक आधार पर 3
151 से 200 4
201 से अधिक 5
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यह सदस्य अधिवेशन के 20 दिन पूर्व अपनी संस्थाओ से नियमित निर्वाचित होकर संस्था के मंत्री द्वारा
महासभा कार्यालय को सुचना भेजेंगे। अधिवेशन सिाल पर प्रतिनिधियों के नाम नह लिये जावेंगे।
(ड) महासभा के पूरे सत्र के लिये 31 साधारण सदस्य बनाने वाले व्यक्ति ।
(च) अध्यक्ष द्वारा समय समय पर समाज के मनोनीत किये हुये सदस्य जिनकी संख्या 15 से अधिक नहीं होगी । ऐसे सदस्य को मनोनयन उनकी योग्यता,शिक्षा व विशिष्ट सेवाओे के आधार पर किया जावेगा।
3. महासमिति का कोरम 101 अथवा कुल सदस्यों की संख्या का 1/10 के अनुपात से जो भी न्यून होगा माना जावेगा ।कोरम के अभाव में स्थगित बैठक की सूचना यदि मूल ऐजेण्डे के साथ प्रसारित कर दी गई हो तो उसमें कोरम का प्रतिबन्ध नहीं रहेगा ।
4. महासमिति के अधिकार निम्नलिखित होंगेः-
(क) अधिवेशन के अवसर पर विषय निर्वाचनी समिति का कार्य करना । इसमें स्वागत या अधिवेशन प्रबन्ध समिति की ओर से 10 सदस्य तक रहेंगे ।
(ख) विधान में संशोधन व परिवर्तन करना ।
(ग) अधिवेशन के अन्तिम दिन कार्यकारिणी के सदस्यों का चुनाव करना । यदि किसी भी कारणवश के सदस्यों का अनुसार अधिवेशन स्थल पर समस्त स्थानों की पुर्ति सम्भव न हो तो उस स्थिति में जो भी कार्यकारिणी गठित होगी वही पदाधिकारियों के चुनाव के लिए वैद्य होगी । रिक्त स्थानों की पुर्ति कार्यकारिणी समिति का होगा । इन स्थानों की पूर्ति कार्यकारिणी की प्रथम बैठक में होगी ।
(घ) कार्यकारिणी द्वारा प्रस्तुत बजट की पुष्टि ।
(ड) मूल महत्व के विषयों पर नीति निर्धारण और विचार विमर्श करना और उन पर निर्णय लेना तथा अधिवेशन में प्रस्तुत करना।
(च) कार्यकारिणी के सदस्यों का चुनाव लडने वाले उम्मीदवारों के संस्था कोष में 101 रू. नामांकन के साथ जमा कराना आवश्यक होगा । उक्त राशि किसी भी हालत में वापिस देय नहीं होगी ।
5. महासमिति की बैठक वर्ष में कम से कम एक बार होगी । आवश्यकता पडने पर इसकी बैठक बीच में भी बुलाई जा सकेगी । बैठक की सुचना 21 दिन पुर्व भेजनी होगी । किन्तु आवश्यक तथा विशेष मीटींग 10 दिन की सुचना देकर बुलाई जा सकेगी ।
6. यदि किसी कारणवश प्रधानमंत्री महासमिति की बैठक समय पर नहीं बुलाते है । और सदस्य बैठक बुलाना आवश्यक समझते है। तो कुल महासमिति की सदस्य संख्या का 1/5 सदस्य अपने हस्ताक्षरों से एक प्रतिवदेन द्वारा जिसमे बैठक बुलाने का उद्देश्य दर्शाते हुए प्रधानमंत्री से बैठक बुलाने की मांग कर सकते है। यदि प्रधानमंत्री उक्त मांग प्रतिवेदन की प्राप्ति के 15 दिन के अन्दर बैठक नहीं बुलाते है। तो उक्त 1/5 सदस्य अपने हस्ताक्षरों से 15 दिन की सुचना पर उसी उद्देश्य के लिए बैठक बुला सकेंगे । इस प्रकार की बैठक जयपुर केन्द्रीय कार्यालय में होगी। उक्त बैठक में कोरम कुल सदस्यों की संख्या का 1/5 होगा । यदि निर्धारित समय से 60 मिनट खत्म होने तक इसी प्रकार की बैठक में कोरम की संख्या के सदस्य उपस्थित नहीं होते है। तो वह मीटिंग निरस्त हो जाएगी ।
7. महासमिति की किसी भी बैठक में लिए गए निर्णय पर उस सत्र में पुनः विचार नहीं होगा।
8. महासमिति द्वारा निर्वाचित पदाधिकारिओं के विरूद्व अविश्वास प्रस्ताव महासमिति की कुल सदस्य संख्या के कम से कम 25 प्रतिशत मत से पारित हो सकेगा ।
9.कार्यकारिणी समिति
1.कार्यकारिणी समिति में अध्यक्ष एवं भूतपूर्व अध्यक्षों एवं भूत पूर्व प्रधानमंत्री के अतिरिक्त पदाधिकारियों सहित सदस्यों की संख्या परिशिष्ट 2 के अनुसार होगी ।
2.अध्यक्ष जिसका चुनाव धारा 12 के अनुसार होगा के अतिरिक्त शेष पदाधिकारियों का निर्वाचन नवनिर्मित कार्यकारिणी अपने सदस्यों में से करेगी । चुनाव मत्र पत्र द्वारा होगा । जो अधिवेशन के अन्तिम दिन चुनाव समिति द्वारा घोषित कार्यक्रम व स्थान पर होंगा ।
3.क्षेत्रिय सम्मेलनों में उस क्षेत्र के उपाध्यक्ष व संयुक्त मंत्री को प्रमुखता दी जावे ।
4.कार्यकारिणी समिति में निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे -
(1).अध्यक्ष - 1
(2).उपाध्यक्ष -(10) पूरे देश का क्षेत्र वाईज विभाजन होगा । प्रत्येक क्षेत्र से निम्न उपाध्यक्ष होंगे-
(क) उतर प्रदेश,उतरांचल -1
(ख) दिल्ली ,पंजाब ,हरियाणा ,हिमाचल प्रदेश -1 (ग) राजस्थान -2
(घ) मध्य प्रदेश ,छतीसगढ
(ड) बंगाल -1 बिहार , आसाम ,उडीसा ,झारखण्ड-1 (च) महाराष्ट्र ,गुजरात ,दक्षिण भारत -1
(छ) महिला वर्ग में -2 जहां भी महासभा का अधिवेशन होगा वहां के अधिवेशन की स्वागत समिति का स्वागताध्यक्ष उस क्षेत्र का उपाध्यक्ष स्वतः ही निर्वाचित माना जावेगा ।
(3).प्रधानमंत्री -1
(4).संयुक्त मंत्री-11, निम्नानुसार -
(क) केन्द्रीय कार्यालय -1
(ख) उतर प्रदेश ,उतरांचल -1
(ग) दिल्ली , पंजाब ,हरियाणा ,हिमाचल प्रदेश -1
(घ) राजस्थान -2 (ड) मध्य प्रदेश ,छतीसगढ
(च) बंगाल -1 (छ) महाराष्ट्र ,गुजरात ,दक्षिण भारत -1
(ज) महिला वर्ग में - 2
(5) कोषाध्यक्ष -1 उसी स्थान का होगा जहां केन्द्रीय कार्यालय होगा। (6)
आन्तरिक लेखा परीक्षक -1 चार्टेड एकाउन्टेन्ट होगा । तथा उसी स्थान का होगा जहां केन्द्रीय कार्यालय होगा । (7)
मुख्य संरक्षक - 1
5.कार्यकारिणी समिति की बैठक सामान्यतः हर तीसरे मास होगी इसक लिये सूचना पत्र 15 दिन पूर्व और अत्यावश्यक बैठक के लिए 7 दिन पूर्व भेजना जरूरी है।
6.अगर किसी कारण से प्रधानमंत्री कार्यकारिणी की बैठक समय पर न बुलावें तो कार्यकारिणी के 1/2 सदस्य मिलकर प्रधानमंत्री से बैठक बुलाने की मांग कर सकते है। अगर मांग पत्र की प्राप्ति के बाद भी 15 दिन के अन्दर कार्यसमिति की बैठक न बुलाये तो फिर उक्त 1/2 सदस्य अपने हस्ताक्षरों से उसी उद्देश्य के लिये उपरोक्त 15 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद 15 दिन की सूचना देकर बैठक बुला सकेंगे इसमे जो निर्णय होगा वह मीटिंग निरस्त समझी जायेगी ऐसी मांग पर बुलाई गई बैठक का कोरम कुल सदस्य संख्या का 1/2 संख्या होगी।
7.कार्यकारिणी का कोरम 31 का होगा। कोरम के अभाव में स्थगित की गई बैठक अगर बाद में बुलाई जावे तो इसमें कोरम का प्रतिबन्ध नहीं रहेगा। ऐसी बैठक की सुचना पृथक से मूल एजेण्टे के साथ भेजनी होगी ।
8.कार्यकारिणी समिति अपने वितिय वर्ष की प्रथम बैठक में वार्षिक बजट स्वीकृत करेगी । और उसको पुष्टि के लिये महासमिति की आगामी बैठक में प्रस्तुत करेगी।
9.कार्यकारिणी मंत्री ,प्रचारक तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति तथा वेतन एवं वेतन वृद्वि का निर्णय अस्थायी रुप से प्रधानमंत्री करेंगे और इसकी पुष्टि कार्यकारिणी की अगली बैठक मे करानी होगी । कर्मचारियों को अपदस्थ करने का अधिकार प्रधानमंत्री को होगा।किन्तु उसकी पुष्टि कार्यकारिणी समिति की आगामी बैठक में करानी होगी।
10.कार्यकारिणी समिति को कार्य संचालन के लिये उपनियम बनाने का अधिकार होगा ।किन्तु ऐसे उपनियम विधान के प्रतिकूल नहीं होंगे।
11.अधिवेशन के लिये आये हुये निमंत्रणों मे से कार्यकारिणी एक निमंत्रण स्वीकार करेगी और जिनका निमंत्रण स्वीकार किया जावेगा । उनके परामर्श से अधिवेशन की तिथियां निश्चित करेगी। यदि अध्यक्ष का चुनाव होने तक कहीं से भी आगामी अधिवेशन का निमंत्रण प्राप्त नहीं हो तो अध्यक्ष के चुनाव से एक माह के अन्दर प्रधानमंत्री द्वारा कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाकर आगामी अधिवेशन के स्थान का निणय अनिवाय रुप से किया जावेगा ।
12.यदि किसी कारण से अध्यक्ष पद किसी समय रिक्त हो जावें तो आगामी अधिवेशन तक उपाध्यक्षों मे से कार्यकारिणी द्वारा निर्वाचित एक अध्यक्ष का कार्य करेंगे ।
13.इसी प्रकार प्रधानमंत्री का स्थान रिक्त होने पर संयुक्त मंत्रियों में से एक को कार्यकारिणी समिति प्रधानमंत्री चुनेगी।
14.यदि किसी अन्य पदाधिकारी का स्थान रिक्त हो जावे तो कार्यकारिणी समिति अपने सदस्येां में से उन पदों का चुनाव करेगी ।
15.यदि कार्यकारिणी समिति के किसी सदस्य का स्थान रिक्त हो जावे तो कार्यकारिणी उसी क्षेत्र के सदस्यों में से सदस्य मनोनीत करेगी ।
16.कार्यकारिणी समिति की लगातार तीन बैठको में अनुपस्थित रहने वाले सदस्य कार्यकारिणी की सदस्यता से स्वतः ही पृथक समझे जायेंगे ।
17.कार्यकारिणी समिति आवश्यकतानुसार समितियों व उपसमितियों का निर्माण कर सकेगी। 18.अध्यक्षीय चुनाव व कार्यकारिणी सदस्यों के चुनावों के लिये तीन सदस्यीय चुनाव का गठन करना ।
19.अध्यक्ष को कार्यकारिणी मे 30 सदस्य मनोनीत करने का अधिकार होगा ।
20.वही व्यक्ति कार्यकारिणी का सदस्य हो सकेगा जिस पर पिछले वचनों की कोई राशि काया नहीं होगी या जिस पर महासभा की कोई देनकारी नहीं होगी, तथा जिन सदस्यों के पास संस्था की रसीद बुक ,कूपन या हिसाब से सम्बन्धित कोई रिकार्ड है और बार बार पत्र लिखने पर भी वे संस्था के कार्यालय में जमा नहीं करावें तो वे चुनाव भी वे संस्था के कार्यालय में जमा नहीं करावें तो वे चुनाव के लिये अयोग्य माने जावेंगे । संस्था का उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करने का अधिकार होगा।
21.कार्यकारिणी समिति की किसी बैठक में लिये गयें निर्णय पर उस सत्र में पुनः विचार नहीं होगा।
22.कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्वाचित पदाधिकारियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कार्यकारिणी समिति के कुल सदस्य संख्या के कम से कम 3/4 मत से पारित हो सकेगा ।
10.सम्बन्धित संस्थायें
1.ऐसी स्थानीय संस्थाये जो स्वतंत्र होवे वे 101 रू. एक सत्र के लिए महासभा कोष में देकर महासभा की सम्बन्धित संस्थाये हो सकेगी । इन्हें संस्था द्वारा निर्धारित फॉर्म भर कर भेजना होगा ।
2.जिन संस्थाओं का चुनाव दो सत्र तक नहीं होगा । उनको महासभा की सम्बद्वता से पृथक किया जा सकेगा ।
3.सम्बन्धित संस्थायें महासभा के विधान के प्रतिकूल कोई कार्य नहीं करेगी । यदि कोई संस्था विधान के विपरीत कार्य करेगी तो कार्यसमिति उसके खिलाफ अनुशासन की कार्यवाही कर सकेगी ।
11.उपसमितियां
1.आवश्यकतानुसार उपसमितियों का गठन संस्था के नव निर्वाचित पदाधिकारियों की बैठक में अध्यक्ष व प्रधानमंत्री करेंगे ।
2.उपसमितियों की बैठक वर्ष में दो बार होना अनिवार्य है। कार्यकारिणी की प्रत्येक बैठक में उपसमितियों की रिपोर्ट संयोजक प्रस्तुत करेगा ।यदि कोई भी उपसमितियों की रिपोर्ट संयोजक प्रस्तुत करेगा । यदि कोई भी उपसमिति अपने गठन से एक वर्ष तक किसी भी प्रकार की रिपार्ट प्रस्तुत नहीं करेगी तो उसका पुनर्गठन का अधिकार अध्यक्ष और प्रधानमंत्री को होगा ।
3.उपसमितियों का कार्य क्षेत्र व नियमावली पदाधिकारी तय करेंगे । 4.उपसमितियों का गठन संस्था के विधान के अन्तर्गत उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही होगा ।
12.अध्यक्ष
महासभा के अध्यक्ष का चुनाव निम्न प्रकार होगाः-
1.पिछले अधिवेशन की तिथि के 33 माह समाप्त होन के बाद 15 दिन के अन्दर संस्था की चुनाव समिति आगामी अधिवेशन के अध्यक्ष पद हेतु परिशिष्ट (3) के अनुसार विज्ञप्ति प्रसारित करेगी
2.उक्त विज्ञप्ति के प्रकाशन के 30 दिन के अन्दर चुनाव समिति महासमिति के सदस्यों से आगामी अधिवेशन के अध्यक्ष पद के नामों के लिये परिशिष्ट (4) के अनुसार नामांकन मांगेगी। से भरा हुआ होगा जिस पर उम्मीदार की स्वीकृति एवं प्रस्ताव व समर्थक के हस्ताक्षर मय अन्य सूचनायें एवं निर्धारित 5100 रू. की राशि कार्यालय में जमा करायें जावेंगे। ऐसे नामांकन पत्र जिसमें उम्मीदवार,प्रस्तावक व समर्थक के हस्ताक्षर नहीं होंगे एवं जिनसे 5100 रू. निर्धारित राशि जमा नहीं होगी वे नामांकन पत्र अस्वीकृत हो जावेंगे । उम्मीदवार प्रस्तावक व समर्थक को महासमिति का सदस्य होना अनिवार्य है।
3. 30 दिन की अवधि में आये हुये नामांकन पत्रो की चुनाव समिति जांच करेगी और जिनके नाम वैद्य घोषित किए जायेंगे उनकी सुची 7 दिन अन्दर प्रत्याशियों का भिजवा दी जावेगी।
4.यदि कोई उम्मीदवार अपना नाम उम्मीदवारी से वापस लेना चाहे तो विज्ञप्ति में निर्धारित समय तक कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर अथवा लिखित में अपना नाम वापसी की सूचना भिजवा सकता है। समय के अन्दर वापिस लिए गए नाम वाले व्यक्तियों को ही जमा राशि 5100 रू. वापिस देय होगी। (परिशिष्ट 5 के अनुसार )
5.नाम वापसी की तिथि के बाद शेष रहे प्रत्याशियों को सूची कार्यालय के सूचना पटल पर 24 घण्टे के अन्दर प्रकाशित कर दी जावेगी ।
6.यदि चुनाव के लिए एक से अधिक नाम रहें तो उन नामों की एक नामावली का मत पत्र बनाकर कार्यालय से 15 दिन के भीतर महासमिति के प्रत्येक सदस्य के पास निर्धारित तिथि तक रजिस्टर्ड ए.डी.डाक से भेजा जायेगा और तत्पश्यात जितने भी मत वाले व्यक्ति का नाम चुनाव समिति अविलम्ब अध्यक्ष के लिऐ धोषित कर देगी । मत पत्र परिशिष्ट (7) के अनुसार होगा । मत पत्र के साथ कार्यालय से एक लिफाफा भेजा जायेगा । जिस मतपत्र छपा होगा और जिसमें मतदाता अपने मतपत्र रखेंगे ।मतदाता लिफाफे पर अन्य किसी प्रकार से चिन्ह्र नही लगायेंगे और इसे एक दूसरे लिफाफे में बन्द करके उस पर ही प्रेषक के हस्ताक्षर तथा पता लिखेंगे। मत पत्र पर क्रमांक नम्बर छपा होगा ।
7.समस्त मतपत्र,चुनाव समिति द्वारा महासभा के केन्द्रीय कार्यालय में खोले जायेंगे ।तिथि तथा समय की सूचना मतपत्र के भेजने के दिन ही चुनाव में खडे होने वाले व्यक्तियों के पास भेजे दी जायेगी और वे अथवा उनके एक एक प्रतिनिधि मतपत्र खोलने व गणना के समय उपस्थित हो सकेंगे ।
8.अध्यक्ष के चुनाव में केवल वे ही महासमिति के सदस्य भाग ले सकेंगे जो गत अधिवेशन की समाप्ति की तिथि से आगे के 33 माह तक विधिवत सदस्यता प्राप्त कर चुके होंगे ।ऐसे सदस्यों का संस्था के केन्द्रीय कार्यालय में इस अवधि में सदस्यों का संस्था के केन्द्रीय कार्यालय में इस अवधि में सदस्यता रजिस्टर में यदि कोई सदस्य महासमिति का सदस्य किसी भी माध्यम से बना है। किन्तु उसका यह सदस्यता अध्यक्षीय चुनावों के बाद बने सदस्यों में मान ली जावेगी ।
9.वहीं व्यक्ति अध्यक्ष पद का चुनाव लड सकेगा जिस पर पिछले वचन की कोई राशि बकाया नहीं होगी या जिस पर महासभा की कोई देनकारी नहीं होगी ।
10.अध्यक्ष चुनाव के लिये तैयार महासमिति की सूची 33 माह समाप्त होने के बाद एक माह के अन्दर प्रकाशित कर दी जायेगी ।
13.अध्यक्ष के कर्तव्य एवं अधिकार
1.बैठकों की अध्यक्षता करना।
2.किसी प्रस्ताव पर बराबर मत आने पर अपना निर्णायक मत देना।
3.महासभा की प्रगति को देखना तथा समय समय पर प्रधानमंत्री से कार्यालय तथा समितियों आदि की रिपोर्ट मांगना एवं मार्ग दर्शन देना।
4.महासभा की सर्वागीण प्रगति को दृष्टि में रखते हुये सभी केन्द्रों पर भ्रमण करना ।
5.बजट के अतिरिक्त 5000 रू. तक व्यय करने का अधिकार ।
6.आवश्यक होने पर अध्यक्ष को स्वयं कार्यकारिणी समिति व महासमिति की बैठक बुलाने का अधिकार होगां ।
7.किसी भी पदाधिकारी ,कार्यकारिणी के सदस्य या महासमिति के सदस्य द्वारा संस्था के हित के प्रतिकूल कार्य करने अथवा अनुशासनहीनता करने पर अध्यक्ष को उसकी जांच करने के लिये एक तीन सदस्यीय अनुशासन समिति गठन करने का अधिकार होगा ।इस समिति की रिपोर्ट पर अध्यक्ष को उचित निर्णय लेने का अधिकार होगा । अध्यक्ष व प्रधानमंत्री इस समिति के पदेन सदस्य होंगे ।इस समिति की रिपोर्ट पर अध्यक्ष को उचित निर्णय लेने का अधिकार होगा।
14.उपाध्यक्षों के कर्तव्य एवं अधिकार
1.अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी समिति एवं महासमिति की बैठक की अध्यक्षता करना ।
2.महासभा के कार्यो का विस्तार करना तथा अपने अपने क्षेत्रों में महासभा को अधिक प्रभावी बनाना ।
3.वर्ष में एक बार अपने क्षेत्र के महासभा के सदस्यों की सभा अपने क्षेत्र में बुलाकर महासभा के कार्यकलापों की सदस्यों को जानकारी देना । संगठन को मजबूत करना ।
15.प्रधानमंत्री के कर्तव्य एवं अधिकार
1.कार्यालय की व्यवस्था एवं संचालन करना ।
2.कार्यकारिणी समिति तथा महासमिति की बैठक बुलाना और उनमें कार्यालय की रिपोर्ट रखना तथा महासमिति व कार्यकारिणी समिति द्वारा लिए निर्णयों को क्रियान्वित करना ।
3.संयुक्त मंत्रियों में कार्य विभाजित करना ।
4.आवश्यकतानुसार कार्यकारिणी समिति की बैठकों में विशेष व्यक्तियों को आमंत्रित करना ।
5.कार्यकारिणी समिति की अनुमति से कानूनी कार्यवाही करना ।
6.समितियों ,उपसमितियों तथा उन्हें कार्यकारिणी समिति के सामने प्रस्तुत करना ।
7.आवश्यक खर्च के लिए बजट के अलावा 1000 रू. तक खर्च करने का अधिकार ।
8.प्रधानमंत्री वहीं व्यक्ति हो सकेगा जो किसी भी एक सत्र में कार्यकारिणी का सदस्य रहा होगा तथा जिसमें संस्था की कोई बकाया नहीं होगी ।
16.संयुक्त मंत्रियों के कर्तव्य एवं अधिकार
1.संयुक्त मंत्री (कार्यालय) प्रधानमंत्री की अनुपस्थित में केन्द्रीय कार्यालय से सम्बन्धित कार्यालय के कार्यो का संचालन व देखरेख करेगा।
2.समस्त बैठको में प्रधानमंत्री का संयुक्त मंत्री सहयोग करेगा ।
3.प्रधानमंत्री द्वारा कार्य विभाजन के आधार पर अपना अपना कार्य सम्पन्न करना ।
4.अपने अपने क्षेत्रों के उपाध्यक्ष के साथ मिलकर क्षेत्र की सामाजिक गतिविधियों को बढाना, संस्था के कार्यों की जानकारी देना व संस्था के कार्यक्रमों की पूर्ति हेतु अर्थसंग्रह का कार्यक्रम तय करना ।
5. अपने कार्यो की रिपोर्ट प्रधानमंत्री व कार्यालय को नियमित भिजवाना ।
6. 500 रुपये तक व्यय करने का अधिकार ।
17.कोषाध्यक्ष के कर्तव्य और अधिकार
1.महासभा के साथ व्यय का हिसाब रखना और अधिवेशन से पूर्व कार्यकारिणी द्वारा नियुक्त चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट द्वारा जाँच कराना और उसकी रिपोर्ट कार्यालय में भेजना ।
2.नियमानुसार खर्चो के बिलों को भुगतान करना ।
3.कार्यकारिणी समिति की प्रत्येक बैठक के समय तत्कालीन आय व्यय स्थिति का संक्षिप्त व्यौरा प्रस्तुत करना।
4.प्रत्येक वर्ष आन्तरिक लेखा परीक्षक द्वारा आय व्यय विवरण का निरीक्षण करवाकर रिपोर्ट कार्यालय को देना ।
18.आन्तरिक लेखा परीक्षक के कर्तव्य एवं अधिकार
1.चार्टेर्ड एकाउन्टेन्ट ही इस पद पर निर्वाचित हो सकेगा ।
2.संस्था के हिसाब का आन्तरिक निरीक्षण कर संस्था के हिसाबों को विधिवत रखने का सुझाव देना व अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री का प्रस्तुत करना ।
19.कार्यकारिणी के सदस्यों के कर्तव्य एवं अधिकार
1.अपने अपने क्षेत्र में संस्था के कार्यकलापों का प्रचार व प्रसार करना एवं जन साधारण के मन में महासभा कार्यक्रमों के प्रति रूचि पैदा करना ।
2.महासभा के छात्रवृति ,जनकल्याण ,महिला कल्याण व अन्य स्वीकृत कार्यक्रमों की पूर्ति हेतु प्रति वर्ष 2500 रुपये संग्रह करके भिजवाना ।
3.संस्था द्वारा संचालित कार्यक्रमों के अन्तर्गत अपने अपने क्षेत्र में छात्रवृतियों,जनकल्याण व महिला कल्याण के उचित पात्रों की सिफारिश करना । अपने क्षेत्र के महासभा द्वारा लाभान्वित भूतपूर्व छात्रों से महासभा को अनुदान दिलाने का प्रयास करना ।
4.क्षेत्रीय संस्थाओं का गठन करना उन्हें महासभा से सम्बन्धित कराना व क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन कराने मे मदद करना।
20.महासभा कोष
1.महासभा का कोष जयपुर में किसी मान्यता प्राप्त बैक या बैकों में रखा जायेगा ।इसका निर्णय कार्यकारिणी करेगी ।
2.कोषाध्यक्ष के अतिरिक्त अध्यक्ष अथवा प्रधानमंत्री अथवा संयुक्तमंत्री में से एक , ऐसे दो व्यक्यिों के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैक से रुपया निकाला जा सकेगा ।
21.निर्णायक मण्डल
1.चुनाव सम्बन्धी एवं अन्य वैधानिक विवाद प्रकरण निर्णायक मण्डल के सम्मुख ही प्रस्तुत होंगे और वही इनका निपटारा करेगा। सीधा कोई भी विवाद न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा ।
2.इसमें तीन सदस्य होंगे ( संयोजक व 2 सदस्य ) इनका चुनाव महासमिति करेगी ।
3.कोई भी महासमिति का सदस्य किसी भी प्रकरण को सीधा न्यायालय में ले जायेगा तो उसे महासमिति की सदस्यता से अयोग्य घोषित समझा जावेगा और उसकी महासमिति से सदस्यता समाप्त समझी जावेगी।
4.निर्णायक मण्डल के पास प्रस्तुत किये जाने वाले प्रकरण की प्रति संयोजक निर्णायक मण्डल के अलावा प्रधानमंत्री को केन्द्रीय कार्यालय मे भिजवाना अनिवार्य होगा। इस प्रकार के प्रस्तुत प्रकरणों के साथ नोटरी पब्लिक द्वारा प्रमाणित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा ।
5.किसी प्रकरण के बारे में निर्णय से पूर्व,प्रधानमंत्री महासभा से तथ्यों की आवश्यक जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
6.इस निणाय मण्डल का फैसला सवमान्य होगा ।
7.किसी भी विवाद का फैसला सामान्यताः 90 दिन में कर दिया जावेगा ।विशेष स्थिति में तीनों सदस्यों की सर्वसम्मति से यह अवधि 30 दिन तक बढाई जा सकेगी ।
8.वर्तमान कार्यकारिणी के सदस्य निर्णायक मण्डल हेतु उम्मीदवार नहीं बन सकेगें ।
9.संस्था से सम्बन्धित किसी भी प्रकार के विवादों के लियें जयपुर न्यायालय क्षेत्र होगा ।
10.निर्णायक मण्डल के किसी भी सदस्य के त्याग पत्र देने अथवा निर्णायक मण्डल से अलग हो जाने की स्थिति में जब तक रिक्त स्थान की पूर्ति नहीं होगी निर्णायक मण्डल कोई फैसला नहीं कर सकेगा। इस रिक्त स्थान की पूर्ति 30 दिन में महासभा अध्यक्ष करेंगे ।
11.निर्णायक मण्डल का कार्यलय आगामी अधिवेशन शुरू होने के पूर्व दिन तक ही रहेगा ।
12.निर्णायक मण्डल का चुनाव अधिवेशन के बाद होने वाली महासमिति की प्रथम बैठक में किया जावेगा । महासमिति की यह बैठक अधिवेशन के बाद 10 दिन की अवधि में अनिवार्य रूप से होगी।
22.चुनाव समिति
1.चुनाव समिति का गठन कार्यकारिणी समिति द्वारा पुरे सत्र के लिये किया जावेगा ।
2.इसमें संयोजक सहित तीन सदस्य होंगे ।
3.गत अधिवेशन की समाप्ति के 30 माह बाद होने वाली कार्यकारिणी समिति की प्रथम बैठक में चुनाव समिति का गठन किया जावेगा ।
4.संस्था के अध्यक्ष चुनाव व अन्य सभी चुनावों को पूरा कराने का दायित्व चुनाव समिति का होगा। सभी चुनावों के सम्पन्न होने से पूर्व समिति के किसी भी सदस्य का त्याग पत्र स्वीकार नहीं किया जावेगा।
5.प्रत्येक चुनाव परिणाम घोषित करने के बाद उस चुनाव की रिपोर्ट प्रधानमंत्री व महासभा कार्यालय जयपुर का चुनाव समाप्ति के 15 दिन के अन्दर प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा ।
6.चुनाव समिति विभिन्न कराने हेतु आवश्यकतानुसार चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति करेगी।
7.कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित नियमावली एवं कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति करेगी ।
8.कार्यकारिणी के सदस्य चुनाव समिति के लिये उम्मीदवार नहीं बन सकेंगे ।
9.चुनाव समिति में नियुक्त कोई भी सदस्य किसी भी चुनाव प्रक्रिया चालू होने में एक माह पूर्व से ही सकेगा । चाहे वह इस अवधि में चुनाव समिति की सदस्यता से त्याग पत्र देकर अलग हो जावे ।
10.चुनाव समिति में क